नज़र से दूर होते जा रहे हो
बहुत मशहूर होते जा रहे हो
फ़क़त दिन चार की है जिंदगी ये
मगर रंजूर रहते जा रहे हो
बिछड़ के शायरी हो लिख रहे तुम
मिरा मज़कूर होते जा रहे हो
तुझे ही याद करता हूँ सदा मैं
मिरा सिंदूर होते जा रहे हो
नज़र आते नहीं दुनिया जहाँ में
फ़लक का हूर होते जा रहे हो
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