मोम जैसे पिघल गया होगा
जिस्म जिस ने तिरा छुआ होगा
रोज़ कोई बिछड़ रहा है यहाँ
तू बिछड़ जाएगा तो क्या होगा
जिस जबीं पे था सिर्फ़ हक़ मेरा
कोई ख़ुश-बख़्त चूमता होगा
आस कब देगी दस्तकें दिल पे
कब तलक ख़ौफ़ ओढ़ना होगा
जो न होना था हो गया है, अब
देखते हैं कि आगे क्या होगा
यूँ न मायूस हो तलाश अंदर
कोई तो इक हुनर छुपा होगा
हाथ कोई नहीं बटाएगा
आसमाँ ख़ुद ही चीरना होगा
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