उनसे मोहब्बत यार फिर कोई ख़सारा तो नहीं
सब मैं लुटा आया मगर ईमान हारा तो नहीं
इतना इलाही है चलन हैरान हैं सब देख कर
वो है ग़लत फ़हमी में ये कोई सितारा तो नहीं
कर दे मुलाएम पाॅंव की मिट्टी निगाहें जोड़ कर
वसवास में हूॅं पैर के नीचे किनारा तो नहीं
जिस पर हुए हैं हम फ़िदा सारा जहाॅं यकसू करे
है तंग वो बेहाल है अब ये गवारा तो नहीं।
मुस्कान लब पर है लिए महबूब बेकल से खड़े
ये रंज बेचैनी मोहब्बत का इशारा तो नहीं
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