कहते हैं वो ज़िंदगी में उनके कोई ग़म नहीं हैं
क्या ये कम हैं यारों क़िस्मत में ही उनकी हम नहीं हैं
मुफ़्त में जो मिल गया तो सस्ता मुझको जाना, लेकिन
दाम मेरा पूछ लो लाखों से भी इक कम नहीं हैं
बाद तेरे मैं किसी का भी नही हो पाया दिल से
वरना मेरे चाहने वाले जहाँ में कम नहीं हैं
चाहूँ ग़र तो आज भी मैं तुझको अपना लूँ बना पर
यार इन सब बातों में अब कोई भी तो दम नहीं हैं
सबके पछतावे हैं अपनी ज़िंदगी के इस जहां में
झूठे हैं वो लोग जो कहते हैं कोई ग़म नहीं हैं
Read Full