पास मेरे वो आ नहीं सकता
दूर उस से मैं जा नहीं सकता
जब से मैं हारा हूँ मुहब्बत में
दिल कहीं भी लगा नहीं सकता
तेरे बिन मैं अधूरा सा लगता
हाथ तुझ से छुड़ा नहीं सकता
एक लड़की का हूँ मैं दीवाना
ख़ुद को पागल बता नहीं सकता
तेरी ख़ातिर मैं लाया हूँ कंगन
चाँद तारे मैं ला नहीं सकता
मैंने रख दीं निकाल कर आँखें
अब वो मुझको रुला नहीं सकता
शेर लिखता हूँ ज़िंदगी पर मैं
बिन सुनाए मैं जा नहीं सकता
Read Full