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Top 10 of
Piyush Shrivastava
Top 10 of
Piyush Shrivastava
इक तन्हा ज़िंदगी है बस क़हर बन रही है
जो ज़ख़्मों की दवा थी अब ज़हर बन रही है
सोचा ख़याल था इक थे दर्द कुछ दिखाने
जो शायरी लिखी है तो बहर बन रही है
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Piyush Shrivastava
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पहले सन्नाटा रहा फिर आँधी आई
लुट गया सब मेरा फिर बरबादी आई
मेरे ख़्वाबों का मकाँ भी हिल गया तब
जब फ़रेबी की हवा तूफ़ानी आई
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Piyush Shrivastava
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एक ख़्वाब
लाल बिंदी माथा चूमे ख़ुशबू महकाए तन
देख उन्हें ख्वाबों में खिलता हो जैसे मन
चाँद सी प्यारी सूरत झीलों सी गहरी आँखें
शहद से हैं लब उनके मीठी सी उनकी बातें
ख़्वाब में मिल जाते हैं हम उनसे कुछ ऐसे कि
गुज़रता हैं न दिन न ही गुज़रा करती रातें
पंख फैला उड़ती वो कौन तितली न जाने
फूल हम भी बन जाते जब आती वो महकाने
दूर से देखा करती हैं वो ज़ुल्फ़ों को लहराए
क़त्ल करती हैं मानो कोई उनको समझाए
है परी कोई या है वो कोई जादूगरनी
दिल हमारा मंत्रित करके वश में करती जाए
ख़्वाब में मिल जाते हैं हम उनसे कुछ ऐसे कि
गुज़रता है न दिन न ही गुज़रा करती रातें
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Piyush Shrivastava
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आजकल सुकून भी हुज़ूर छीन लेते हैं
झूठे कुछ रिवाज़ भी सुरूर छीन लेते हैं
लोग क्या कहेंगे अब ज़माने भर के हमसे ये
बोलकर हमारा ही उबूर छीन लेते हैं
झूठी महफ़िलें है सब यहाँ की, चंद बातों में
लोग हमसे चेहरे का भी नूर छीन लेते हैं
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Piyush Shrivastava
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ज़बाँ मीठी तो आँखों में समंदर लेके फिरते हैं
यहाँ के लोग शैतानी का मंतर लेके फिरते हैं
फ़रेबी सी ये दुनिया हो रही है ग़ैर तो छोड़ो
यहाँ तो अपने ही हाथों में ख़ंजर लेके फिरते हैं
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Piyush Shrivastava
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"दास्तान-ए-ज़िंदगी"
तकलीफ बढ़ चली है
उम्मीद घट चली है
तकदीर सो चली है
ये रात रो पड़ी है
टूटे पड़े बेसेरे
काले हुए सवेरे
प्यासे रहे किनारे
बुझने लगे सितारे
वो ख़्वाब भी गया तब
ये दौर है नया अब
कोई चराग़ चमके
कोई किताब पलटे
खाली रही किताबें
सूनी पड़ी न जाने
गम भी झलक रहा है
शीशा चटक रहा है
टूटा मिला महल भी
जो ख्वाब में चमक रहा है
वो ख़्वाब भी गया तब
ये दौर है नया अब
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Piyush Shrivastava
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छोड़ कर के हमको यूँ तन्हा वो भी पछताई होगी
सोच कर रुस्वाई उसकी आँख भी भर आई होगी
काँपी तो होगी हथेली उसकी भी, तब जाके मेहँदी
ग़ैर की ख़ातिर ही उसने हाथों में रचवाई होगी
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Piyush Shrivastava
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ज़िंदगी में अपनी हम कुछ फेर लिख दें
हार में रुस्वाई का कुछ ढ़ेर लिख दें
तुम हमारी कुछ बुराई लिखते जाओ
हाल पर हम अपने कोई शेर लिख दें
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Piyush Shrivastava
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शाम जो उनको साथ बैठाया
आसमाँ ने भी नूर बरसाया
साज़िशे सारे तारों ने की जब
अपनी ज़ुल्फ़ों को उसने लहराया
चाँद भी जलने सा लगा फिर जब
उसने खुलके ज़रा सा मुस्काया
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Piyush Shrivastava
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कुछ ग़ैरों ने लूटा हमें लूटा हमें कुछ अपनों ने
नींदे रहीं बस रातों की वो लूट ली कुछ सपनों ने
Piyush Shrivastava
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