हर शहर लड़ने मरने का दौर चल रहा है
मेरी भी जेब से अब ख़ंजर निकल रहा है
अफ़सुर्दगी भी चेहरे पर इसलिए है मेरे
अब रील पर तो सिक्का रोने से चल रहा है
तू भागने लगा है क्यों ऐब देख मेरे
उस पान वाले का इस से काम चल रहा है
शादी की बात छेड़ी है जब से तूने घर पे
ये सारे आशिक़ों का दिल तब से जल रहा है
जब तू था मैं समय से घर आया करता था अब
तेरा न होना मेरे घर को भी खल रहा है
ख़ुद की कहानी मैंने अब तक नहीं सुनाई
मेरा तो काम तेरे क़िस्सों से चल रहा है
ये 'हर्ष' इसलिए भी हँस कर नहीं दिखाता
जब सारा काम ही अब रोने से चल रहा है
Read Full