मुँह को खोले आई है तन्हाई है
कितनी ठोकर खाई है तन्हाई है
मुझसे ग़ुस्सा सारी तेरी बहने हैं
तुझसे ग़ुस्सा भाई है तन्हाई है
अपने ही वादों को तोड़ा है तूने
किसकी क़सम निभाई है तन्हाई है
उसके ग़म में चाक़ू उठाना था भाई
तूने क़लम उठाई है तन्हाई है
इश्क़-ए-फ़ानी में चीज़ें मिलना तय है
ग़म है दुख है जुदाई है तन्हाई है
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