मांझी अगरचे याद है तो जानिए के दिन गए
जब आज मुस्तक़बिल लगे तो पूछिए के दिन गए?
सबसे मिले मिलते रहे, सबने कहा हम यार हैं
तुमने कहा उस्ताद है, तब हाशिए के दिन गए
जो शायरी के नाम पर चीखा किए सारी उमर
वो जा चुके हैं, आप धीरे बोलिए, के दिन गए
तुमको जुनूँ के नाम पर लाया गया है जंग में
तुम को सुकूँ दरकार है तो रोईए के दिन गए
ये छह पहर का काम है कुछ दो पहर आराम है
ये इश्क़ सबसे न हो सका सब रो दिए के दिन गए
अब जाहिलों से इश्क़ की, कर ली ख़ता तो ये करें
अब सर धुनें, अब रोइये, सर फोड़िए, के दिन गए
जब नौकरी तक आ चुके, कितना बुरा सौदा किया
अब जी बजाते आइए, ये बोलिए के दिन गए
तुमने किये जो इश्क में वादे सभी पूरे किये
अब राब्ता बेकार है ये जानिए के दिन गए
पहले पहल लगता था ये के काफ़िया क्या ख़ूब है
जब ख़ुद ग़ज़ल हम हो गए हर काफ़िये के दिन गए
हम आपके बीमार थे हर बात पर तैयार थे
कुछ था वहम भी इश्क़ का, अब छोड़िए के दिन गए
इतना जुनूँ था जिस्म में दुनिया जला सकते थे हम
सब कुछ ख़ुदा का शुक्र है, और किसलिए के दिन गए
गर इश्क़ तुमको लग रहा था क़ैद फिर तो जाइये
अब छत गई सर से सनम पर खोलिए के दिन गए
हम आफ़तों में मुब्तला काफ़िर भी हम, हम ही ख़ुदा
करने को बाक़ी है बहुत, मत सोचिए के दिन गए
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