बड़े नादान है नज़रें इधर कर भूल जाते हैं
तो हम भी सादा दिल ठहरे सँवर कर भूल जाते हैं
अजी हम दीन-ओ-दुनिया, घर, वफ़ा सब से परेशाँ हैं
तो किसके नाम से रोए बिफर कर भूल जाते हैं
वफ़ा करके वफ़ा मांगें उसे ये भी सहूलत है
हमारा काम है हम काम कर कर भूल जाते हैं
ये मत पूछो कि कब सुधरेंगे हम तुमको ख़बर है ना
सुधरते हैं मुसलसल हम सुधर कर भूल जाते हैं
बड़े मजनू बड़ी लैला उमर को जानते तो है
हैं ऐसा भी कि बालों को कलर कर भूल जाते हैं
तुम्हारे साथ में जीना हुआ मर मर के गर जीना
तो समझो बोझ को सब दर-गुज़र कर भूल जाते हैं
कहेंगे सब भला मुझको अजी है देर मरने की
सभी यारो को ज़िंदा है ख़बर कर भूल जाते है
सभी जन्नत से आए हैं जहाँ जन्नत बनाने को
मगर 'आफ़त' है ये सारे उतर कर भूल जाते हैं
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