जब बच्चों को इल्म पढ़ाया जा सकता है
फिर तो उनको प्यार सिखाया जा सकता है
इश्क़ इबादत है इतनी सी बात सिखा कर
हर पागल दिल को बहलाया जा सकता है
दिल की सरहद तोड़ तेरी बाहों में आकर
हम रो देते लेकिन सुस्ताया जा सकता है
क़ुदरत के साए की रहमत भूल चुके हैं
ये हालत है सर से साया जा सकता है
दो रोटी की भूख है मुझको उतना खा लूँ
अब लगता है मुल्क बचाया जा सकता है
दिल में आने का रास्ता तो सीधा ही है
गर इन बाँहों को फैलाया जा सकता है
छोड़ हमी को सबसे दिल का हाल कहो मत
हमको दिल का हाल सुनाया जा सकता है
घरवाले जब तुमको सब समझा सकते है
घर वालों को भी समझाया जा सकता है
इश्क़ अजल है जिसने जाना उनसे पूछो
मरने तक तो जिस्म सजाया जा सकता है
काफ़िर को काफ़िर कहने में हुज्जत कैसी
मौला को काफ़िर ठहराया जा सकता था
मुश्किल वक़्त ने सिखलाए हैं ख़ूब सबक भी
दो रोटी से काम चलाया जा सकता है
पत्थर फेंको, पत्थर पूजो, पत्थर गढ़ लो
पत्थर को हर काम में लाया जा सकता है
इनको समझाने की ख़ातिर आ मत जाना
ईसा तुझको फिर लटकाया जा सकता है
बच्चे बूढ़े रोज झगड़ते हैं दुनिया में
बच्चों का झगड़ा सुलझाया जा सकता है
हमने रांझे से माझी तक सीखा ये है
दीवानों को काम बताया जा सकता है
क़ुदरत के बरसों का हासिल है ये इंसा
और ख़ुदा तो रोज़ बनाया जा सकता है
किसको कितना याद रखोगे तय करना है
किसका कितना ग़म दोहराया जा सकता है
अब मैं इतना सोच रहा हूँ पागल ही हूँ!
पागल से दीवान लिखाया जा सकता है
मेरे दिल पे हाथ रखा फिर पूछा उसने
इसका कितना दाम लगाया जा सकता है
आफ़त है कि मुझको सबका हश्र पता है
ख़ैर जलाया या दफनाया जा सकता है
मज़हब के वादे झूठे भी हो सकते हैं
मज़हब का ईमान गिराया जा सकता है
कद घर के बच्चों का जब बढ़ने लग जाए
दीवारों को और उठाया जा सकता है
पहले सोचो पेड़ बचाएंगे हम कैसे
तब मुमकिन है शहर बचाया जा सकता है
हम दिल पर दस्तक दे ऐसे जाहिल नहीं है
दिल को तो चुपचाप चुराया जा सकता है
मंदिर ओ मस्जिद पर दस्तक देने वाले
मौला को तो ख़ुद में पाया जा सकता है
सच की सूरत सादी होकर भी अच्छी है
झूठ को तो कुछ भी पहनाया जा सकता है
यार ख़ुशी गर खुद ढूँढोगे तो पाओगे
ग़म को तो सबसे दिलवाया जा सकता है
मंदिर ओ मस्जिद की क़ैद बुरी है वाइज़
मौला को ये सच बतलाया जा सकता है
वो महफ़िल में फिर बुलवा सकता है तुझको
महफ़िल से जाना भी ज़ाया जा सकता है
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