एहसास ए मुहब्बत
दिलों की धड़कन ये कह रही है,
के तुम ही बसते हो धड़कनों में,
छलक छलक के निकल रहा है,
के तेरा चेहरा इन आसुओं में !!
हमें तो कोई खबर नहीं है,
के दिल कहीं और जां कहीं है,
के पहले थी बेकरार राहत,
मज़ा है अब इन उलझनों में !!
के फिरता हूं तेरे चारसू मैं,
मिले जो मौका तो चूम लूं मैं,
बदन तुम्हारा है फूल जैसा,
के झगड़े होते हैं तितलियों में !!
के ऐसे ना छोड़ो डालकर तुम,
दुपट्टा रखो संभालकर तुम,
ये कांटे सारे लगे महकने,
के रंग बरपा है खुशबुओं में !!
नाजाने कांटों को क्या हुआ है,
के फूल बनकर मुझे छुआ है,
के मां ने जब से दुआ किया है,
तनाव ज़ारी है मुश्किलों में !!
बहोत बचाया है लाख तुमसे,
मगर ये "आलम" ना सोच पाए,
खुदारा कैसे ना कत्ल होंगे,
के जान अटकी है बालियों में !!
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