मैं बताऊँ क्या नहीं क्या है जुनूँ
एक पागलपन का सहरा है जुनूँ
देख कर लगता नहीं होगा मगर
गुल-बदन में बे-तहाशा है जुनूँ
क़ैद कर के किस को रखना है यहाँ
तू बता बस में कब आता है जुनूँ
शक नहीं उन की मोहब्बत पर मगर
इन दिवानों में ज़ियादा है जुनूँ
सब्र रखना है तुम्हें वक़्त आएगा
ख़त्म होते होते होता है जुनूँ
मान जाओ आओ इक सौदा करो
हम तुम्हारे हैं हमारा है जुनूँ
गलियों गलियों करना है दिन भर उसे
रात भर मदहोश रहता है जुनूँ
अब ज़रा महसूस कर ज़ोया इसे
दर-हक़ीक़त एक तोहफ़ा है जुनूँ
उतरा है दरिया मेरे अंदर 'रिदम'
इस तसव्वुर से भी गहरा है जुनूँ
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