एक दिन सबको जीते-जीते मर जाना है

  - Shadab Asghar

एक दिन सबको जीते-जीते मर जाना है
जिस दिन सब कुछ पा लेना है घर जाना है

बस इतनी सी ख़्वाहिश लेकर जीते है हम
हमको बस उनके दिल के अंदर जाना है

मैं छोटे घर का सबसे अव्वल लड़का हुँ
सपनों का हर बोझ भि तो हम पर जाना है

हार की सारी ज़िम्मेदारी बस मेरी है
जीत का सेहरा यां पर सबके सर जाना है

वैसे तो तुमने दस दुनियाएं फ़तेह करी हैं
जब मोहतरमा तुम्हें डराए डर जाना है

शादाब-असग़र तन्हा बैठे सोच रहे हैं
पाँच बजे अर पंच लगा कर घर जाना है

  - Shadab Asghar

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