स्वच्छ कोई जल नहीं है - ''Kumar Aryan''

स्वच्छ कोई जल नहीं है
वायु भी निर्मल नहीं है

जीना जितना हो कठिन पर
मरना कोई हल नहीं है

बातें कड़वी करता हूँ मैं
दिल में कोई छल नहीं है

तन पे रेशम डाले आया
पाँव में चप्पल नहीं है

जितनी कोमल उसकी वाणी
उतनी वो कोमल नहीं है

शहरों में है शोर लेकिन
बस्ती में हलचल नहीं है

सोचता हूँ माओं के अब
सर पे क्यों आँचल नहीं है

बाप घर कैसे चलाए
बाज़ू में अब बल नहीं है

रक्षा हो कैसे सिया की
अब वो रामा दल नहीं है

- ''Kumar Aryan''
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