बिछड़ना लाज़िमी होगा सुनो अब की हमें

  - Milan Gautam

बिछड़ना लाज़िमी होगा सुनो अब की हमें
मगर तुम याद आती रहना बस यूँही हमें

वफ़ादारी से हम को कर लिया अपना ग़ुलाम
मोहब्बत में कहाँ ले आई वो लड़की हमें

फ़ज़ाएँ ख़ूबसूरत कितनी हैं देखो ज़रा
ख़ुदा का शुक्र है जो रौशनी बख़्शी हमें

तुम्हें मशहूर कर देगी तुम्हारी दिल-कशी
अगर मशहूर कर देगी ग़ज़ल-गोई हमें

कुछ ऐसे हैं हम इक-दूजे से काफ़ी मुख़्तलिफ़
पसंद उस को नहीं है चाय और कॉफ़ी हमें

हमारे बीच हिंदी काम पुल का करती है
उसे उर्दू नहीं आती और अंग्रेज़ी हमें

उसी जानिब पे उसका नाम उसी जानिब है घर
जहाँ से आती ले जाती है पुरवाई हमें

बहुत तंग आ चुके हैं ज़िंदगी से हम 'मिलन'
मगर ख़ुश हैं कि इक दिन मौत आएगी हमें

  - Milan Gautam

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