दिल की अहमर दीवारों पर तुम केवल उल्फ़त पढ़ना
साथ में लिक्खा होगा फ़ुर्क़त लेकिन उसको मत पढ़ना
सत्तर-अस्सी साल का जीवन अगर लिखा है क़िस्मत में
तब भी केवल मौत ही सच है जीवन को रेहलत पढ़ना
देखो तुम्हारा चाहने वाला तुम पर ग़ज़लें कहता है
देखो कितनी ख़ुश-क़िस्मत हो अपनी कभी क़िस्मत पढ़ना
उसकी आँखें हिंदी जैसी उसके लब उर्दू जैसे
यानी ग़ज़लें पढ़ने जैसा है उसकी सूरत पढ़ना
एक तरफ़ नाराज़ी सारी एक तरफ़ सारी बहजत
सिर्फ़ मोहब्बत की मेरे चेहरे पर तुम वहशत पढ़ना
ताज़ा-ताज़ा इश्क़ हुआ है इक कम-सिन लड़की से मुझे
माँ ने सख़्त हिदायत दी है जौन एलिया को मत पढ़ना
As you were reading Shayari by Milan Gautam
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