किसी की दीद करने से चलें किसी की चाह तक
मुवानसत का हर सफ़र रुका हुआ है बाह तक
जबीन चूम कर नसीब जोड़ने की बात कर
जो हाथ थामना है गर तो ज़ीस्त के निबाह तक
है लड़कियों को चाहिए कि लाएँ सारे लड़कों को
उदासियों की राह से मोहब्बतों की राह तक
शराब और सदमों के तअल्लुक़ात गहरे हैं
अलम भुलाने जाते होंगे लोग ख़ानक़ाह तक
हमीं सुकूँ बिखेरते रहे जहान भर में और
हमीं ने खोले हैं ये सारे रास्ते गुनाह तक
मोहब्बतें ही करती होंगी बे-ठिकाना आदमी
मोहब्बतें ही लाती होंगी आदमी पनाह तक
हम उस को भूला ही कहेंगे भूल कर के भी अगर
सहर का भूला लौट आए घर को शाम-गाह तक
ख़यालों के सफ़र की रह-नुमाई की अरूज़ ने
हर एक शेर मेरा मुझ को लाया वाह-वाह तक
Read Full