तो क्या हुआ वो शख़्स अगर आस-पास नइँ
दिल टूटा है ज़रूर मैं पर देवदास नइँ
जा सकता है तू छोड़ के ये तेरी मर्ज़ी है
हो जाए पर तू ग़ैर का हरगिज़ ये रास नइँ
ये ना-मुराद कोशिशों में पाने की तुझे
मैं ग़म-ज़दा ज़रूर हूँ लेकिन उदास नइँ
कोई तो आ के मुझ से मिरा हाल पूछिए
ग़म-ख़्वार कोई भी नहीं मय-ख़ाना पास नइँ
मर्ग़ूब आँखें शफ़क़त-ए-सीरत ये ख़ूब हुस्न
ये इश्क़ होना तुम से कोई बे-असास नइँ
तुम जैसा कोई दूसरा जौहर नहीं यहाँ
हम जैसा कोई दूसरा जौहर-शनास नइँ
वो बात करता है न ही मिलने बुलाता है
वो प्यार करता तो है मगर बे-क़यास नइँ
ये मैं ने कब कहा वो इताअत करे मिरी
बस मुझ से आशिक़ी करे और कोई आस नइँ
रिश्ते में कब से आने लगीं तुर्श-रूइयाँ
बातों में अब तुम्हारी पुरानी मिठास नइँ
ता-उम्र बस ये ग़म ही नहीं जाएँगे 'मिलन'
शोहरत नहीं है प्यार नहीं सुख-बिलास नइँ
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