कहीं नज़्र दिलकश नज़ारा ही हो जाए
तमन्नाओं की रुत बहारा ही हो जाए
कोई शख़्स हम को मिले ऐसा जिस से
हमें प्यार सारा का सारा ही हो जाए
हमें नींद आती नहीं है अकेले
हक़ीक़त कोई ख़्वाब प्यारा ही हो जाए
कभी ख़्वाब-ज़ारों से वो मेरे गुज़रें
तो दीदार पाकर गुज़ारा ही हो जाए
हमें शाइरी करना वाजिब बहुत है
लिखें उन पे गर नस्र-पारा ही हो जाए
लियाक़त है इतनी सुख़न में हमारे
कि जो सुन ले फ़ौरन हमारा ही हो जाए
यहाँ कश्तियाँ डूब जाती हैं हर-दम
चलो इस भँवर से किनारा ही हो जाए
मिटा देंगे हम उस के ये दाग़ सारे
अगर चाँद इक दिन हमारा ही हो जाए
है मुमकिन नहीं तीरगी में मोहब्बत
'मिलन' दिल जला तो शरारा ही हो जाए
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