तुम गुलों की दिलरुबा हो तितलियों से मुख़्तलिफ़
हैं तुम्हारे नाज़-नख़रे बच्चियों से मुख़्तलिफ़
ख़ूबसूरत और भी हैं इस जहाँ में लड़कियाँ
तुम मगर हो जान-ए-जाँ सब लड़कियों से मुख़्तलिफ़
कब मोहब्बत करने वाले होंगे इस में कामयाब
ख़ुद-कुशी कब होगी आख़िर सुर्ख़ियों से मुख़्तलिफ़
कम-सिनी तारी ही थी इन को मोहब्बत हो गई
ये जो कलियाँ हो रही हैं टहनियों से मुख़्तलिफ़
प्यार की ख़ातिर जो मुझ से भी बग़ावत कर सके
एक बेटी चाहिए सब बेटियों से मुख़्तलिफ़
ये मोहब्बत क़ैद है क़ैदी को भी है ख़ुश-गवार
रस्सियों से मुख़्तलिफ़ है बेड़ियों से मुख़्तलिफ़
बे-वफ़ाई का अलम जाँ जीते-जी ले लेता है
ज़ख़्म-ए-दिल नासूर होते किर्चियों से मुख़्तलिफ़
मैं अरूज़-ए-रेख़्ता से करता हूँ मौज़ूँ सुख़न
तुम ख़यालों से बँधे हो क़ाफ़ियों से मुख़्तलिफ़
मुझ से कहते हो मोहब्बत छोड़ दो क्यूँ करते हो
ख़ाकसारी कब रही है रोटियों से मुख़्तलिफ़
दिल यहाँ पर जल रहे हैं आशिक़ी की आग में
रौशनी जो हो रही ये है दियों से मुख़्तलिफ़
हम मुसलसल जो नज़ारा कर रहे हैं वो 'मिलन'
हुस्न है उस का सुकूँ ये वादियों से मुख़्तलिफ़
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