ख़ुदाया तू ने मुझ से कहा मोहब्बत कर
मैंने कर ली है अब मुझ पर रहमत कर
फैलाता हूँ दोनों हाथ तिरे आगे
या-रब उस लड़की को मेरी क़िस्मत कर
क्या ये हिंदू-मुस्लिम लगा रखा तू ने
भारत-वासी है तो भारत-भारत कर
चाहे तो कर मेरा नफ़ा नज़र-अंदाज़
लेकिन इलाही सब के घरों में बरकत कर
इश्क़-ए-मजाज़ी से ही मिल जाएगा ख़ुदा
इश्क़-ए-हक़ीक़ी पाने की बस निय्यत कर
स्टेशन पर रेल आने वाली होगी
चल इक बोसा दे और मुझको रुख़्सत कर
आकर अंतिम बार गले से लगा 'मिलन'
फिर जिससे जी चाहे उससे मोहब्बत कर
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