आप ऐसे ही दिलों को उनके दहलाते रहें - Naresh sogarwal 'premi'

आप ऐसे ही दिलों को उनके दहलाते रहें
गर न हो दीदार फिर भी मन को बहलाते रहें

गमले में पौधा लगा ही जब दिया है आपने
फूल के आने तलक फिर उसको नहलाते रहें

इश्क़ फ़ुर्क़त शाइरी और जंग में जाएज़ है सब
करते तारीफ़ें रहें और तंज ढहलाते रहें

ज़िद्दियों का काम है हासिल न कर ले जब तलक
उसको तब तक अपना साया-साँ ही कहलाते रहें

दुनिया इंसानों की है ये भीड़ तो होगी मगर
गो जगह जाँ भी मिले सर पाँव फहलाते रहें

धड़कनों को लग न जाए ये पता सागर कहीं
साँस के भी साथ शहवत को भी सहलाते रहें

- Naresh sogarwal 'premi'
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