उसकी यारी कोई यारी थी
बस कोरी दुनियादारी थी
बच जाते कैसे दुनिया से
सच कहने की बीमारी थी
कुछ क़िस्मत भी मेहरबाँ थी
कुछ हम में भी अय्यारी थी
दुश्मन भी हम पर मरते थे
हम में इतनी दिलदारी थी
मरने में जाँ का ज़ोखिम था
जीने में भी दुश्वारी थी
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