"मोहब्बत ये नहीं होती"
मोहब्बत ये नहीं होती कि उसकी सुर्ख़ आँखों में
मेरी चाहत का काजल आब कोई रोकने पाए
मोहब्बत ये नहीं होती कि उसके लब खुलें हर सू
ओ उन पर ज़िक्र मेरा बारहा आए कभी जाए
मोहब्बत उसकी ज़ुल्फों की ज़रा भीनी सी ख़ुशबू है
हवा के मन्द झोंकों को जो बरबस संदला कर दे
या उसका मेरी बाहों में समाकर टूटना अक्सर
मेरी धड़कन बढ़ाकर फिर मुझे अपना बना जाए
As you were reading Shayari by Surendra Bhatia "Salil"
our suggestion based on Surendra Bhatia "Salil"
As you were reading undefined Shayari