वो अब आँखों का तारा हो गया है

  - Surendra Bhatia "Salil"

वो अब आँखों का तारा हो गया है
फ़लक सारे का सारा हो गया है

किसी से थी उसे पहले मोहब्बत
वो अब पूरा हमारा हो गया है

नदी सागर से मिल कर पूछती है
तू कैसे इतना खारा हो गया है

मक़ाम-ए-आख़िरी तक आ गए हैं
मोहब्बत में ख़सारा हो गया है

रक़ीबों से सुने हैं ख़्वाब उसके
हमारा पारा पारा हो गया है

जब उसने हाथ छोड़ा तब लगा ये
मेरा दिल बेसहारा हो गया है

कुशल तुम पूछते थे तो बता दूँ
मोहब्बत से गुज़ारा हो गया है

  - Surendra Bhatia "Salil"

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