चाहने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं
वो अगर देखें तो धड़कन पे असर रखते हैं
वो जो हर वक़्त नज़र आते हैं गुम-सुम बे-हिस
दिल की तह में कहीं चाहत का शरर रखते हैं
वो चला तो गया उस दर से मगर आज भी हम
मुंतज़िर यूँ हैं कि हर दर पे नज़र रखते हैं
मेरे साए से किसी को न मिला है साया
अपने साए के लिए ख़ुद का शजर रखते हैं
शहद सी शीरीं यूँ माना कि ज़बाँ हैं अपनी
साफ़ निय्यत की दिलों में तो क़सर रखते हैं
ये हँसी अपनी तो दुनिया के लिए है लेकिन
अश्क-बारी के लिए अपना ही घर रखते हैं
ज़िंदगी लम्हा-ब-लम्हा तो गुज़ारी हम ने
मौत के लम्हों की कोई न ख़बर रखते हैं
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