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ग़मज़दा देख के सीने से लगाने वाला - Shajar Abbas

ग़मज़दा देख के सीने से लगाने वाला
वक़्त-ए-मुुश्किल में मेरे दिल को बढ़ाने वाला

दिल से रह-रह के सदा आती है हर लम्हा मेरे
देखना आयेगा एक रोज़ वो आने वाला

हूँ मैं मसरूफ़-ए-इबादत वो मेरे ख़्वाब में है
है गुनाहगार सुनो मुझको जगाने वाला

नाम पा इश्क़ के जिस्मों की हवस मिटती है
इश्क़ अब बाक़ी नहीं पहले ज़माने वाला

ख़्वाब में ख़ुद मेरे तशरीफ़ नहीं लाता है
वो बशर जो था मुझे ख़्वाब दिखाने वाला

रखके सर काँधे पर मुझसे वो कहा करता था
लौट कर आता नहीं है कोई जाने वाला

देखकर फैले हुए कमरे को ये सोचता हूँ
जाने कब आयेगा कमरे को सजाने वाला

मै अगर रूठा तो अब कौन मनाएगा मुझे
मुझसे रूठा है शजर मुझको मनाने वाला

- Shajar Abbas

Ishq Shayari

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