जाँ अपनी लुटा देने को तैयार मिलेंगे
हर दौर में हम हक़ के तरफ़दार मिलेंगे
हम पैरों हैं मीसम के सो हर दौर-ए-ज़माँ में
हक़ करते बयाँ तुमको सर-ए-दार मिलेंगे
दौलत ने सभी धो दिए किरदार के धब्बे
अब आपको सब साहिब-ए-किरदार मिलेंगे
आ जाएँगे यूसुफ़ जो कभी मिस्र के बाज़ार
यूसुफ़ को ज़ुलेख़ा से ख़रीदार मिलेंगे
वादा ये करो जान बिछड़ते हुए हम तुम
तारीख़-ए-मुक़र्रर पे हर इक बार मिलेंगे
जाओगे अगर क़ैस की बस्ती में कभी तुम
सब तुमको वहाँ इश्क़ के बीमार मिलेंगे
आएगा अगर वक़्त-ए-मुसीबत कभी मुझ पे
संग वक़्त-ए-मुसीबत में मेरे यार मिलेंगे
गर होने लगे बा-ख़ुदा तक़सीम ये गुलशन
मिल जाएँगे गुल तुमको हमें ख़ार मिलेंगे
मैदान-ए-मोहब्बत में अगर देखोगे आकर
हम इश्क़ का करते हुए इज़हार मिलेंगे
जिस सिम्त बढ़ाओगे शजर अपने क़दम तुम
हम तुमको बने साया-ए-दीवार मिलेंगे
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