पहले सर पर बिठाएगा तुमको
जान ख़ुद की बताएगा तुमको
जब तुम्हारा शबाब उतरेगा
देखना छोड़ जाएगा तुमको
जान-ए-मन जान-ए-रूह जान-ए-जाँ
पहले ऐसे बुलाएगा तुमको
जितनी तुम उसपे मरती जाओगी
उतना ही वो सताएगा तुमको
लड़कियों तुम हो काँच की मानिंद
देखना तोड़ जाएगा तुमको
जिसको तुम चाँद कहती फिरती हो
वो ही तारे दिखाएगा तुमको
जब भी पूछोगी उससे शादी का
तब वो रो के दिखाएगा तुमको
ऐसे लड़कों की तुम हो कठपुतली
उँगलियों पे नचाएगा तुमको
ये नहीं है 'उमर' फ़रिश्ता है
जिससे पूछो बताएगा तुमको
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