उसकी गली को रौशन हम ही किये हुए हैं
दीपक ब'दन को दिल को बाती किये हुए हैं
वो मुड़ के कब हमारी जानिब को देखता है
हम तो पलट-पलट बस यूँ ही किये हुए हैं
ऐसा नहीं कि उसका बस राह देखते हैं
हम उसके दर को अपना घर भी किए हुए हैं
मैं आज ग्रेजुएशन के बाद गाँव लौटा
जाँचा,पता किया वो शादी किए हुए हैं
उस की असीरी में हम तो क़ैद भी नहीं फ़िर
दिल पर मिरे वो क्यों मन-मानी किए हुए हैं
ऊपर अगर है हम से उसका मुकाम जग में
फ़िर क्यों वो इतना आना-कानी किए हुए हैं
उस में सिवा अना के कुछ भी नहीं है फ़िर भी
कुछ बात है जो दिल पर तारी किए हुए हैं
बचते थे, जी चुराते थे घर के कामों से हम
तेरे लिए अ'जित को माँझी किए हुए हैं
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