सोते रहते हैं, मुस्कुराते हैं
जब तेरे ख़्वाब गुदगुदाते हैं
पहले से ज़िंदगी तमाशा है
उस पे वो अपना दुख सुनाते हैं
अब तेरी याद में हुआ यूँ की
चाय पीते नहीं सुड़-सुड़ाते हैं
मैं बहुत दूर रहता हूँ उन से
जो मोहब्बत को फ़न बताते हैं
हिज़्र, तन्हाई और नाकामी
पंखे को काम भी दिलाते हैं
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Ajit Yadav
our suggestion based on Ajit Yadav
As you were reading Hijr Shayari