ये ज़िंदगी का सही पाथ कुछ नहीं आया
किसी को मेरे लिए गाथ कुछ नहीं आया
समेट के तिरी सारी की सारी तस्वीरें
ये सोचता हूँ मिरे हाथ कुछ नहीं आया
लगा हमेशा कि है आस पास ये दुनिया
मगर कभी भी मिरे साथ कुछ नहीं आया
As you were reading Shayari by Amit Kumar
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