न तुमने कम किया पीना तुम्हारा
वहीं से रास्ता बिछड़ा तुम्हारा
जो कहने लग गया हूँ अब ग़ज़ल मैं
लो पूरा हो गया बदला तुम्हारा
तुम्हारे बाद जो कुछ भी बना मैं
बनाने में है सब ख़र्चा तुम्हारा
मैं झूठा हो गया लोगों के आगे
सुनाया जब भी सच क़िस्सा तुम्हारा
वो जो अब कह रहा है सब मिरा है
उन्हें मालूम सब कुछ था तुम्हारा
मुसलसल हम सफ़र रहने को चाहा
मगर हर मोड़ था उलझा तुम्हारा
मैं अपनी ज़ात से बाहर गया जब
मुझे तब तब दिखा चेहरा तुम्हारा
मियाँ इक उम्र तक रिश्ता चला था
बड़ा मज़बूत था धोखा तुम्हारा
मिरा कुछ भी नहीं था अस्लियत में
जो कुछ भी है गया खोया तुम्हारा
जो आँसू बह नहीं पाए कभी भी
उन्हीं में गल गया रिश्ता तुम्हारा
जिसे छोड़ा था तुमने राह में ही
वो मेरा साथ था साया तुम्हारा
मैं हर मौसम से लड़ आया हूँ लेकिन
नहीं भूला हूँ पर झोंका तुम्हारा
किताबों में छुपा के रख दिया था
बहुत ही क़ीमती ख़त था तुम्हारा
बचा जो दर्द है सीने के अंदर
उसी के नाम है हिस्सा तुम्हारा
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