तेरे कमरे की उदासी की अगर मानूँ तो

  - Abdulla Asif

तेरे कमरे की उदासी की अगर मानूँ तो
तेरे कमरे में मेरे बाद भी आया था कोई

चीख़ चिल्लाके बताता था की मैं हूँ मैं हूँ
न कोई देखता था और न सुनता था कोई

  - Abdulla Asif

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