आए हो तो बैठो न करो जाने की बातें
अच्छी नहीं अपनों पे सितम ढाने की बातें
तुम आँख उठा कर ज़रा देखो तो मिरी जाँ
है कोई जो छेड़े यहाँ मय-ख़ाने की बातें
हमने तो सनम तुम को यूँ पूजा है कि हरदम
का'बे में भी होती हैं सनम-ख़ाने की बातें
तुम शो'ला-ब-दामाँ हो जिगर सोख़्ता हम हैं
वो शम'अ की बातें हैं ये परवाने की बातें
मत पूछो कि क्या हाल हुआ तुमसे बिछड़ कर
अब याद नहीं तुमसे बिछड़ जाने की बातें
हम जैसे थे वैसे ही हैं वैसे ही रहेंगे
करने दो जो करते हैं बदल जाने की बातें
कलियों से सुने थे तिरे शर्माने के क़िस्से
भँवरों से सुनी हैं तिरे खुल जाने की बातें
तारों में नज़र आए तिरी आँख-मिचौली
मौजों ने सुनाईं तिरे बल-खाने की बातें
रह जाओ अगर पास हमारे किसी सूरत
मर जाए जो छेड़े कभी मर जाने की बातें
अग़्यार की महफ़िल में न जाया करो जानाँ
वाँ सिर्फ़ हुआ करती हैं बहकाने की बातें
सुननी हैं तो फिर सुनिए 'बशर' की ही ज़ुबाँ से
फ़र्ज़ाने की बातें हों कि दीवाने की बातें
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