होना अब दर - बदर छोड़ देंगे

  - Hrishita Singh

होना अब दर - बदर छोड़ देंगे
ये गली रहगुज़र छोड़ देंगे

काट कर तेरी यादों का जंगल
नाम तेरे शजर छोड़ देंगे

सजदे में रहना इक शख़्स ख़ातिर
इल्तिजा भी असर छोड़ देंगे

कै़द होने के डर से ही अब तो
पंछी करना बसर छोड़ देंगे

है अगर पाना मंज़िल अकेले
फिर अधूरा सफ़र छोड़ देंगे

मौत आएगी क्या तुमको भी तब
हम भी तुमको अगर छोड़ देंगे

उम्र थी इक सभी शिकवों की भी
लेना तेरी ख़बर छोड़ देंगे

अब मयस्सर नहीं उनको रोज़ी
लड़के भी अपना घर छोड़ देंगे

अच्छा है तू नहीं हमको हासिल
वरना खोने का डर छोड़ देंगे

आख़िरी झूठ है कहते हो, ये
कहते हो ये हुनर छोड़ देंगे

  - Hrishita Singh

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