तिरी याद आती रही रात भर
रुलाती जगाती रही रात भर
जबीं को मिरी तू ने चूमा तो फिर
जबीं जगमगाती रही रात भर
तुझे प्यार से देखता मैं रहा
तू ख़ुद को छुपाती रही रात भर
सभी की नज़र थी तिरी ओर तू
अदाएँ दिखाती रही रात भर
किसी को नहीं ये पता है कि तू
मुझी को बुलाती रही रात भर
मिरी ही लिखी वो सभी शाइरी
मुझी को सुनाती रही रात भर
मुझे रात भर था तुझे देखना
तू छुपती छुपाती रही रात भर
बसाया जिसे मैं ने दिल में वही
हसीना सताती रही रात भर
दिवाना है 'सागर' मिरे हुस्न का
सभी को बताती रही रात भर
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