"अरदास-ए-दिल"
ऐ ख़ुदा तू मुझको
नेक रास्ते पर चला दे
ज़िन्दगी में सही-ग़लत का
फ़र्क़ मुझको बतला दे
बस इक तमन्ना है मेरी
तू कर ले उसको भी क़ुबूल
हर वक़्त तेरी बंदगी हो
बन जाऊँ तेरे क़दमों की धूल
तेरे बनाए इस दिमाग़ में
कुछ ऐसे ख़्यालात न दें
कि मेरे किसी फ़ैसले पर
मेरे अपने ही मेरा साथ न दें
चलता रहूँ तेरे नक़्श-ए-क़दम पर
बुलंदियों को कर हासिल
हर उम्मीदों पर खरा उतरकर
फ़तह करूँ मैं हर मंज़िल
तू ही मेरी ज़िन्दगी की
हर नई शुरुआत बनें
है दुआ ये मेरी तुझसे
कि तुझसे ही हर बात बनें
हो सामने मेरे सवाल कई
और तू ही मेरा जवाब बनें
जो देखे मैंने आँख खोलकर
सच्चे हर वो ख़्वाब बनें
तेरी रहमतों का हर पल
शुक्रगुज़ार मैं हूँ मौला
ज़िन्दगी ही दे दी तूने
इससे ख़ास कुछ क्या होगा
तेरे एहसानों का अब मैं
नेक कामों से अहकाम करूँ
मैं खुश रहूँ और कोई नाख़ुश
ऐसा न कोई काम करूँ
अगर कहीं इस ज़िन्दगी में
कोई ग़लती मुझसे हो जाए
जिससे कि इस दिल के अरमाँ
दूर शिखर में खो जाए
फिर अगर तेरी कोई बारगाह में
हाथ माफ़ी में उठ जाए तो
माफ़ हमें तू कर देना
दिल माफ़ी माँगने में शर्माए तो
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