मोहब्बत की तिजारत का मुबारक सिलसिला उसको
ख़ुदा बख़्शे सहार-ए-बद्दुआ का हौसला उसको
अज़ल से है मेरी ख़्वाहिश मेरा हो जाए वो लेकिन
उसे जिसकी भी चाहत है ख़ुदा पहले दिला उसको
वो नौ से पाँच पी'एम है मैं नौ से पाँच ए'एम हूँ
मेरे अहवाल आयेंगे समझ में क्या भला उसको
बहुत हल्के में लेता है वो आह-ओ-ज़ारी-ए-आशिक़
बहुत भारी ना पड़ जाए निकाह का फ़ैसला उसको
परिंदो को रिहाई दे तू कीर्ति पर्स से अपने
छिपा रक्खी जो फ़ोटो है बला से दे जला उसको
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