लगाऊ कितनी भी ताकत , ये दिल नहीं लगता
तुम्हारे बिन किसी सूरत , ये दिल नहीं लगता
मैं रात भर तिरे ख़्वाबों की राह ताकत हूँ
अजीब हैं शबे फुरकत , ये दिल नहीं लगता
खुदारा कर कोई तावीज़ मैं परेशां हूँ
खुदारा पढ़ कोई आयत , ये दिल नहीं लगता
तुम्हारी याद से कोई गिला नहीं मुझको
हैं मेरे दिल में ही दिक़्क़त , ये दिल नहीं लगता
मैं सोगवार नहीं हूँ मिरा मिज़ाज़ हैं ये
हैं मुझमे गम की वो वुसअ'त , ये दिल नहीं लगता
गमों ने चाट लिया इस तरह मिरे दिल को
हो कितनी शान-ओ-शौकत , ये दिल नहीं लगता
तरह-तरह के हसीं-ओ-जलील आए पर
तिरे सिवा किसी क़ीमत , ये दिल नहीं लगता
खुदा बता मुझे आखिर ये दिल बनाया क्यो ?
तू जानता था न दिक्कत !! , ये दिल नहीं लगता
सुनो ज़रा मुझे तुमसे......!! हाँ खेर छोड़ो अब
लो कर रहा हूँ मैं हिजरत , ये दिल नहीं लगता
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