आँख से गिरता आँसू ज़ियादा खारा होता है - nakul kumar

आँख से गिरता आँसू ज़ियादा खारा होता है
बेघर होकर मरता है बेचारा होता है

मीठी नदियाँ खारे सागर तक क्यों जाती हैं
क्या इनको भी दर्द बहुत ही प्यारा होता है

तारों को हल्के में लेकर इतराता है आफ़ताब
भूल गया कि हर इक सूरज तारा होता है

वक़्त से जिसकी आनाकानी चलती रहती है
उसका दुश्मन तो फिर जग ये सारा होता है

ख़ुद जलकर रौशन करता है अपनी इक दुनिया
वो कहते हैं जुगनू तो आवारा होता है

जिन लोगों को ग़म के बादल ठंडे लगते हैं
उनका अपना एक अलग सय्यारा होता है

एक मुहब्बत से तंग आ तौबा कर जाते हैं
उन लोगों के संग ऐसा दोबारा होता है

ख़ुशियों का तो आना जाना लगा रहेगा पर
ग़म का दिल में रह जाना हमवारा होता है

जाने कौन घड़ी में ज़ख़्म सुलगने लग जाए
वक़्त सभी के दर्दों का हरकारा होता है

अपने अंदर से आकर जो बाहर रहता है
किसी के भी दिल में रह ले बंजारा होता है

बो देता है ख़्वाहिश फिर रोता है सातों दिन
अपना मन ही हर ग़म का गहवारा होता है

- nakul kumar
0 Likes

More by nakul kumar

As you were reading Shayari by nakul kumar

Similar Writers

our suggestion based on nakul kumar

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari