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कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की - Nazeer Banarasi

कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की
मिलती है उन की अदा से हर अदा बरसात की

जाने किस महिवाल से आती है मिलने के लिए
सोहनी गाती हुई सौंधी हवा बरसात की

उस के घर भी तुझ को आना चाहिए था ऐ बहार
जिस ने सब के वास्ते माँगी दुआ बरसात की

अब की बारिश में न रह जाए किसी के दिल में मैल
सब की गगरी धो के भर दे ऐ घटा बरसात की

देखिए कुछ ऐसे भी बीमार हैं बरसात के
बोतलों में ले के निकले हैं दवा बरसात की

जेब अपनी देख कर मौसम से यारी कीजिए
अब की महँगी है बहुत आब-ओ-हवा बरसात की

बादलों की घन-गरज को सुन के बच्चे की तरह
चौंक चौंक उठती है रह रह कर फ़ज़ा बरसात की

रास्ते में तुम अगर भीगे तो ख़फ़्गी मुझ पे क्यूँ
मेरे मुंसिफ़ पे ख़ता मेरी है या बरसात की

हम तो बारिश में खुली छत पर न सोएँगे 'नज़ीर'
आप तन्हा अपने सर लीजे बला बरसात की

देखिए कुछ ऐसे भी बीमार हैं बरसात के
बोतलों में ले के निकले हैं दवा बरसात की

जेब अपनी देख कर मौसम से यारी कीजिए
अब की महँगी है बहुत आब-ओ-हवा बरसात की

बादलों की घन-गरज को सुन के बच्चे की तरह
चौंक चौंक उठती है रह रह कर फ़ज़ा बरसात की

रास्ते में तुम अगर भीगे तो ख़फ़्गी मुझ पे क्यूँ
मेरे मुंसिफ़ पे ख़ता मेरी है या बरसात की

हम तो बारिश में खुली छत पर न सोएँगे 'नज़ीर'
आप तन्हा अपने सर लीजे बला बरसात की

- Nazeer Banarasi

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