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कभी दिल था कभी हिस्सा तुम्हारा - Nikunj Rana

कभी दिल था कभी हिस्सा तुम्हारा
पुराना था कभी रिश्ता तुम्हारा

जहां की राह से हो कर गुज़रते
कभी रोका नहीं रस्ता तुम्हारा

अहद के बाद आते वस्ल के दिन
दिखा होता हमें चेहरा तुम्हारा

मिरे कमरे लिफ़ाफ़ों से भरें हैं
पता ख़त को नहीं मिलता तुम्हारा

बड़ा आसान था उस पल पलटना
लिए बैठा हमें जाना तुम्हारा

मोहब्बत में 'निकुँज' भारी हदें हैं
सजा़ देगा वफ़ा करना तुम्हारा

- Nikunj Rana

Raasta Shayari

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