कौन कहता है इश्क़ मरता है
दरमियाँ अपने तो ये ज़िंदा है
साँस आती है साँस जाती है
मेरी साँसों में तू समाया है
इश्क़ की बात कर रहा है वो
जैसे दिल हार कर के आया है
तेरा मेरा वजूद काफ़ी है
बाक़ी सब प्यार में दिखावा है
यूँ ही गुमसुम जो बैठ रोता है
समझो अपनों का ही सताया है
यार है इश्क़ जो जवानी का
ये बुढ़ापे तलक सताता है
इश्क़ आसाँ कहाँ है उस के लिए
जिसको रिश्ता हर इक निभाना है
मैं बड़ा ही अकेला दुनिया में
दर्द का एक बस सहारा है
रुख़्सती वक़्त की ज़रूरत थी
वो ख़बर अब भी मेरी रखता है
तेरी बदनामियों के डर से ही
याद में ही तुझे छुपाया है
मौत राजीव है हक़ीक़त इक
ज़िंदगी तो फ़क़त छलावा है
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