दास्ताँ तेरी सुनाते हैं चले जाते हैं
बे-वफ़ा तुझको बताते हैं चलें जाते है
लेके गज़लों का सहारा तेरी महफ़िल में हम
अपने हालात सुनाते हैं चलें जाते है
चंद लम्हात हमें वस्ल के मिलते हैं फिर
वो घड़ी अपनी दिखाते हैं चलें जाते हैं
पूछता ही नहीं कोई भी मेरा दुःख मुझसे
दु:ख सभी अपना सुनाते है चले जाते है
देखने आते हैं बीमार को तेरे जो भी
अश्क दो चार बहाते है चले जाते हैं
इक कहानी है फक़त दुनिया कि जिसमें हम सब
अपना किरदार निभाते हैं चलें जाते है
हम है आवारा भटकते हुए बादल साहिल
दश्त की प्यास बुझाते है चलें जाते है
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