दूर हो माँ बाप से तो ज़िन्दगी किस काम की
सुख नहीं परिवार का तो नौकरी किस काम की
देखना है आपको तो एकटक देखो हमें
आपकी नज़रें ये हमपर सरसरी किस काम की
जब कोई इसको समझता ही नहीं अब दोस्तो
इससे अच्छा बोल लेते ख़ामुशी किस काम की
सिर्फ़ उसकी ही रज़ा से लोग साँसें ले रहे
और फिर भी पूछते हैं बन्दगी किस काम की
वो नहीं तुमको मिले शोहरत नहीं तुमको मिली
फिर 'तनोज' ऐसी तुम्हारी शाइरी किस काम की
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