आपको क्या ख़बर क्या से क्या हो गया
वो सनम मुझसे ही बेवफ़ा हो गया
अब मुझे क्या पड़ी तू रहे न रहे
जो मेरा था वो मुझसे जुदा हो गया
मैं भी देता रहा हाज़िरी उसके दर
वो ही कश्ती वो ही ना-ख़ुदा हो गया
ऐसी रहमत हुई उनके दीदार की
सूखता ये शजर फिर हरा हो गया
ज़ख़्म-आलूद दिल था मेरा क्या कहूँ
आपका लम्स उस पे दवा हो गया
कौन ढूँढे मुझे अन-तही याद में
इक तसव्वुर में ही लापता हो गया
As you were reading Shayari by Vivek Chaturvedi
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