वो जानता है ये बात फिर भी रुका रहेगा
नदी को बहना है पर किनारा खड़ा रहेगा
कहाँ तलक ये उदासी पीछा करेगी मेरा
कहाँ तलक तेरा लम्स मुझसे जुड़ा रहेगा
हमारी नस्लों में हम ही होते रहेंगे पैदा
तेरी ही पोती पे मेरा पोता फिदा रहेगा
मज़ाक़ दो एक दिन का ही ठीक रहता है दोस्त
अब और तू कितने रोज़ मुझसे ख़फ़ा रहेगा
बदन की अपनी ज़रूरतें हैं बनी रहेंगी
मगर जो इस दिल का मसअला है बना रहेगा
फ़क़त खिलाड़ी बदल रहे हैं मगर तमाशा
लगा हुआ था लगा हुआ है लगा रहेगा
उसी के आने पे मुनहसिर है ये बात 'ताशी'
इस आँख का दरिया बहना है या खड़ा रहेगा
प्रभाकर शिवम् ताशी
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