हर बात वो कह दी छुपाया कुछ नहीं
हर बात कहकर भी बताया कुछ नहीं
हर वक़्त वो कहती ख़िलाफ़-ए-क़ाइदा
हर बार कहकर भी सिखाया कुछ नहीं
कहती रही कैसे गुज़ारें ज़िंदगी
वो सिर्फ़ कहती थी दिखाया कुछ नहीं
मैं मानता हूँ मैं बुरा तो हूँ मगर
उसने किसी को तो बताया कुछ नहीं
मशकूर तो हूँ छोड़ जाने का मगर
उसने मुझे भी तो जताया कुछ नहीं
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