तुम होती तो कैसा होता?
कमरे की चार दीवारी और मैं अक्सर ये बातें करते हैं,
तुम होती तो कैसा होता?
इस कमरे की जेबाईश क्या होती,
इन दीवारों का रंग क्या होता?
क्या इस खाली गुलदानी में फूल गुलाबी होते,
या फिर गुलदश्ता ही ना होता?
ये खिड़की जो बंद पड़ी है बरसों से,
क्या खोले जाते?
कमरे में क्या सूरज की हल्की-हल्की किरणें पड़ती,
या फिर तेज हवा का झोंका कमरे में खुशबु भर देता?
खामोशी में कैद ये कमरा और दीवारें जो बेरंग पड़ी हैं
क्या इस पर हँसती सी एक तस्वीर तुम्हारी होती?
कमरे की चार दीवारी और मैं अक्सर ये बातें करते हैं।
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